Sunday 15 January 2017

मेरी माँ

चाह और आस तेरी हम हों कुशाग्र
प्रगति पथ पर चल जीवन में हों सफल
ममता क्षमता दक्षता पूजा अर्चन और दुआ 
तन्मयता से अथक प्रयास था तेरा 
ज्ञान की मूरत प्यार की सूरत 
तेरी पनियायी आँखों में निहित 
लहराता प्यार का इक सागर 
तन मन धन से तूने हम पर 
वार दिया अपना सर्वस्व
व्य्था वेदना सब सहकर
हमको दिया सुख संसार
कभी सरल शब्दों में मानवता का ज्ञान दिया 
कभी दृढ़ता निष्ठा से उपदेश दिया
व्हिवहलता और व्यग्रता से व्यथित  
जब हम आये तेरे पास तूने सहलाया 
दोनों बाहें फैला हमें गले लगाया 
सांत्वना सलाह दे हमें समझाया       
अपने आहत मन की बात हमसे कभी न कही
अविचलित स्थिर तू अडिग और मौन रही 
हम अपने जंजालों की उलझन में सोच नहीं 
पाते तेरे अंदर की  तूफानी अकुलाहट को 
समय नहीं दे पाते तेरे मन की बेचैनी को 
कैसे दूर करें तेरे वृद्धजीवन के सूनेपन को 
तू जब धीरे धीरे बतियाती है 
आशीष हमें दे मुस्काती है 
माँ प्यारी माँ मेरी माँ