Swan
Swan
The swan is a bird.
In Indian literature
It is considered a very intelligent bird.
I think this is mystic bird.
And it is believed that it has lowly conscience.
According to the Vedas
Swan live in lake Mansarover.
They are rare Species.
This bird can separate purity and impurity.
Hans is symbols of our mind or consciousness.
The separation of milk and water,
Shows that the awakened soul is the one
They can extract the truth and untruth in our mind
And know the difference between good and evil.
If you think from the logic of science,
The nature of the swan is calm.
It floats calmly on the water.
Swan is shy creature.
There is interesting thing about Swan
This bird sleeps while swimming.
He does not get hurt.
Spiritual symbol in the name of Swan -
हंस (Aham) and Sa (ha),
Which mean "I" (am) "that")
Hamsa is manifestation of Prāṇa(Breath)
Applied to the human breath,
We are said to inhale and exhale
with Ha and to inhale with Sa.
It is also called (Ana-pan)
Basic teaching of the ultimate reality (brahman)
Liberation (moksha) of the individual soul (atman).
Goddess Sarswati is Goddess of knowledge.
She rides on swan because swan is graceful
Swan voice is charming and sweet.
Saraswati is the goddess of knowledge.
Swan has virtue to discriminate truth and untruth.
As to separate milk from water.
Virtue of Discrimination —
Pure white symbolises purity
And ability to remain unaffected
From water in which he glides and detach itself.
Separate water from milk means
Ability to separate truth from falls.
मानव तेरा मेरा सम्बन्ध बहुत पुराना
हम विवेक और पवित्रता के प्रतीक।
तू सब गुणों में है माहिर तू समझता
तू हमारे गुणों का है पुजारी।"
हम हंस पक्षी प्यार और पवित्रता के प्रतीक ।
हम स्वभाव से होते शांत ।
हम शांति से पानी में तैरते रहते है।
हम पक्षी शर्मीले कहलाते।
हमारी दिलचस्प बात है हम तैरते हुए सो जाते है।
इससे हम हंसों को नही होती परेशानी।
पानी और दूध को अलग करने की हम रखते क्षमता ।
हम पवित्रता और अपवित्रता में समझते अन्तर।
हम ज्ञान की देवी सरस्वती के हैं वाहन ।
वेदों पुराणो में हमें विवेकी पक्षी माना गया है।
हम नीर-क्षीर विवेकी पक्षी मानसरोवर में रहते हैं।
हम पानी मे रहते है।
मनुष्य हमें एक दुर्लभ जीव मानते है।
हँस दूध और पानी को अलग नहीं कर सकता हैं।
वेदों और पुराणों के अनुसार
पानी मानवों की चेतना का है प्रतीक,
दूध से मानवों की चेतना को मिलता पोषण ।
दूध में कुछ ऐसे पदार्थ हैं जो
मानवों की चेतना के लिये हितकर नहीं
हम हंस बुद्धिमान समझे जाते हैं
मानवों के चेतना पर रहते आसीन( रखते सचेत)
इनकी उन्मद चेतना और आत्मा को हम दिखाते मार्ग।
लोग मानते हम हंसों का दूध और पानी को अलग करना,
दर्शाता है कि जागृत आत्मा वही है,
जो मन में सत्य और असत्य को पहचान सके।
अच्छाई और बुराई के बीच अंतर को जान सके।
By Durga H Periwal
2021-1-18