The sage is quiet
The sage is quiet
He is still but filled with knowledge.
Because of none movement
No reaction
He controls on his emotions.
He is not attentive
Not interested in material things.
Achieved stillness by emptiness.
He has power to be non-active
Does not mean he is not inactive
Willingness to quiet his mind.
Just like still water in a glass.
He is able to focus in his inner strength.
He sits in perfect position
It does not mean he is not alive.
He is clear in his thoughts.
The heart of the sage is tranquil.
He is just like a mirror
Can see the activity of heaven and earth
Worryless he rests
He is empty
Emptiness brought stillness,
tranquility, equilibrium
Tastelessness,
Silence,
no action:
From emptiness he is liberated
Liberated from material world
Achieve emptiness stillness arises.
From no action reached to attainment
From stillness comes their non action,which
is a great achievement
And is therefore reached attainment
His attainment is joy
From joy got silence
For stillness is joy,
Joy is free from care
Fruitful in long years
Inner Joy comes from emptiness
Emptiness without not caring material things
From emptiness,
stillness,
tranquility,
tastelessness,
Silence and non action
Are the root of all happiness
सन्त होते है मितभाषी।
अन्तरज्ञान से भरा होता उनका हृदय।
उनके अन्दर हलचल नहीं हरकत नहीं,
प्रतिक्रिया में रखते नहीं विश्वास।
भावनाओं पर होता नियंत्रण।
सांसारिक गतिविधियों मे रुचि नहीं
भौतिक चीजों में नहीं अनुराग।
वैराग्य में रखते रुचि
एकाकीपन उनके जीवन का ध्येय
नीरवता में पाते शांति।
गैर क़ानूनी गतिविधियों के रहते विरुद्ध
वे निष्क्रिय नहीं वे होते कर्मठ।
उनमें क्रोध को नियंत्रण
करने की होती आंतरिक शक्ति।
उनका मन सदैव रहता शांत ।
जैसे भरा गिलास में पानी।
ध्यान केंद्रित करने में सक्षम रहते।
वे अचल अडिग स्थिति में बैठते
इसका मतलब नहीं वे जीवंत नहीं।
ब्रह्माण्ड की गतिविधियों से रहते अवगत।
वे आसक्त नहीं निराश्रित है।
वे खाली नहीं अन्दर छलकता प्यार,
जैसे बादल मे बरसात।
चाहत नहीं इसलिये मिलती उनको राहत।
राहत से मिली शांति समरसता
निश्छलता सक्षमता मुक्तावस्थता
शून्यता से वे मुक्त रहते जग से
संयुक्त हैं अनजान से।
भौतिक दुनिया से मुक्त
पुरस्कार में मिली शान्ति।k
क्रियाकलाप से मुक्ति
प्राप्त हुई निश्छलता।
सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हुई
मिला अन्तरज्ञान।
चिंता मिटी ग़ैरत मिटी।
शून्यता से शून्य का होता सक्षात्कार।
शांति,शांति,सर्वत्र मिलती शान्ति।
नीरसता,सरसता समरसता
चुप्पी,निश्छलता सौम्यता
सभी खुशियों की जड़ समाहित इनके अन्दर।
By Durga H Periwal
30.9.2020
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