No matter how much distance
No matter how much distance
We put between worldly matters
And ourselves we nevertheless
get entangled in them.
To live in the garden do not fall in love
with flowers is impossible.
The cypress tree with its tall stature
claims independence but remains
grounded in the garden.
Some of us are more attached
to things than others, but all of us
remain enslaved to our worldly
desires and needs.Isn't it true?
सांसारिक मामलों के बीच हम चाहे
कितनी भी दूरी क्यों न रखें फिर भी
हम स्वयं को सांसारिक कृतियों से
अलग नहीं कर सकते कहीं न कहीं
हमें उनमें उलझना ही पड़ता हैं ।
कहावत है--
"पानी में रह कर मगरमच्छ से वैर नहीं कर सकते"
हम चाहे कितनी भी दूरी क्यों न रखें
नामुमकिन है बगीचे में रह कर फूलों से
प्यार न करें ओर न मुस्कुराएँ।
अपने लम्बाई के साथ सरू का पेड़ बाग़ीचे के
किनारे स्वतन्त्र खड़ा रहता है किन्तु उसकी जड़े
तो बग़ीचे की ज़मीन में ही पनपती हैं।
हममें से कुछ लोग अधिक उल्झे रहते हैं
कुछ लोग कम।
लेकिन हम सभी अपनी मानसिक इच्छा
और आवश्यकतानुसार सांस्कारिक
कृतियों में संलग्न रहते ही हैं।
मेरे विचार से यही सत्य है।
By Durga H Periwal
2021-4-5
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