क्रोधाद्भवति संमोहः
क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
(Bhagavad Gita 2.63।।)
Attachment to anger and
Enchantment to memory.
Confusing memory
And destroying intelligence
Man's Fall from Wisdom destruction.
We should meditate in our heart
We should think with our mind
We study with wisdom
We should be enlightened with deeds
Focus on our goal within self
Concentrate on our inner light
Identify self
To know God
God is within us.
Let knowledge flourish.
We should smile like flowers
Distribute our smile in the air.
क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
(Bhagavad Gita 2.63।।)
क्रोध से मोह और
मोह से स्मृति विभ्रम।
स्मृति भ्रमित से बुद्धि नाश
बुद्धि नाश से मनुष्य का पतन ।
मन से करें हम मनन
चित्त से करें हम चिन्तन
बुद्धि से करें हम अध्ययन
कर्म से करें हम ज्ञानवर्धन
स्वयं पर केन्द्रित करें ध्यान
आत्मज्योत का करें दर्शन
अपने लक्ष्य को पहचान
ख़ुद से मिल खुदा को जान।
अन्तर पनपने दें हम ज्ञान ।
फूलों की तरह मुस्कुराहट
का करें हवा मे हम वितरण।
By Durga H Periwal
2021-4-17
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