Lesson from a garden Lesson from a garden
A gardener work hard and
Turn a dry hard peace of land
Into a magnificent garden.
Digging deep hard dry soil
Combination of peace, love with patience.
Gradually the soil soften with moisture.
Again the gardener smoothen the soil
to sow variety of seeds.
Protect the seedlings
From birds wind and strong sun.
He is an architect of a garden.
One had to work on knees to create a garden
Make drawings and plan the garden.
East west South and North where to grow
Flowers and rockery, fountain, fish ponds,
Trees tall medium small, shrubs, perennials
Seasonal flowers and variety of roses.
Several different variety of flowers like tapestry.
Architect of a garden is not less skillful than
An architect of big mansions.
No two gardens are the same.
So no two days are the same.
The gardener take care of his young plants
Just like a young mother take care of her baby.
Flower cannot blossom without sunshine
Nor without gardener's love.
A gardener knows what has to be done
When it has to be done whether want
to do it or not but ought to be done.
The gardner can not get old.
The gardener always think of tomorrow.
I imagine what a similarity is
In a mother and a gardener
He had to nourish the young plant
Like a mother nourishes her child.
Gardener do not think of misery in life.
Gardener dig his problems
while digging and preparing the land
To plant plants.
He enjoys colorful life which
He creates on dry hard land.
The gardner get nourishment
From his garden.
The garden bring sunshine, food
To the soul of a gardener.
As flowers bloom on the land
Hope strengthened our thoughts.
Plant gets repotting so too our life gets
New placement after death.
Every single day the gardner grow
Something new in the garden.
Similarly something
New happens in our lives.
Gardner do not think of problems
He faces in his daily life.
The blooming garden
Strengthens his hope.
Flowers bring smile on his sad face.
One must have sunshine,freedom
confidence and smile like little flowers.
By Durga H Periwal
2021-2-2
माली कड़ी मेहनत से
तैयार करता शानदार बगीचा।
कठोर मिट्टी को मुलायम करने
के लिये अथाह धैर्य के साथ
पानी की सहायता से
धीरे-धीरे मिट्टी को करता नरम।
बीज बोने पौध रोपने के लिए चाहिये मिट्टी नरम
जैसे नन्हें बालक को रखते मुलायम गद्दी पर।
पक्षियों से नन्हें पौधों की करता रक्षा।
हवा और तेज धूप से करता बचाव।
बनाता योजना रंगों का करता संयोजन
ऊँचा,मध्यम छोटा पेड़ों का आकार,
झाड़ियाँ बारहमासी मौसम के फूलों
और गुलाबों को टेपेस्ट्री का प्रतिरूप
देता सुन्दर आकार।
बगीचे के निर्माण कर्ता को घुटनों पर
बैठ कर करना पड़ता काम।
कोई भी दो बगीचे नहीं होते एक समान।
जनजीवन में दो दिन नहीं होते एक समान।
माली अपने युवा पौधों की देखभाल करता ऐसे
जैसे एक युवा माँ अपने बच्चे की करती देखभाल।
धूप के बिना कोई फूल नहीं खिल सकता
और नही माली के प्यार के बिना अलौकिक बग़ीचा
दर्शकों का मनोरंजन कर सकता।
माली जानता है क्या करना है
कब करना है कैसे करना है
जब चाहे या न चाहे करना तो होगा।
माली बूढ़ा नहीं हो सकता।
माली हमेशा कल के बारे में सोचता हैं।
मैं कल्पना करती हूं कि एक माँ और
एक माली में कितनी समरसता है।
माली युवा पौधों का पोषण है करता
माँ करती अपने बच्चे का पोषण।
माली निजी जीवन में दुखदर्द
को भूलने का करता प्रयास।
मिट्टी खोदते समय अपनी समस्याएँ
भूमि में मिलाता जैसे मिलाते खाद ।
रंग बिरंगी पोशाक में खिलते फूल अनेक
महक भरी बलखाती इतराती हवा में
बौखलाता माली भूल जाता सांसारिक
दुखों भरा जीवन अपना।
लेता रंगीन पौधों का जीवन में आनन्द।
शुष्क भूमि पर पैदा करने वाले का
पोषण करता उसका रचनात्मक बाग़ीचा।
आत्मिक भोजन देते उसके लहराते डोलते फूल।
भूमि पर खिलते फूल हरते मन के त्रिशूल
हमारे विचारों को करते मजबूत।
जैसे रिपोटिंग होता पौध वैसे ही मृत्यु के बाद
हमारा जीवन भी होता स्थानान्तरित ।
माली का उत्साह बढ़ता,देख
बगीचे में नया फूल नयी पौध।
ग़ौर करें हमारे जीवन में भी कुछ
न कुछ नया होता हर दिन।
माली घरेलू व्यथाओं मे नहीं उलझता
क्योंकि खिलता बागीचा
उसकी उम्मीद का है स्तम्भ।
फूल उदासी और खुशी
दोनों परिस्थितियों मे
खुशी देने मे है सामर्थ्यवान।
फूलों की तरह रहें हम स्वतन्त्र
सबके जीवन की स्वतंत्रता का करें मान
छोटे फूलों की तरह हर जीवन में
हम भी लायें मुसकान।।
By Durga H Periwal
2021-2-2
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