The Bhagavad Gita explains-
The Bhagavad Gita explains-
On this earth a human is just like a farmer.
Treat a human is a farmer.
Q)How much land do you have?
A)He replied five and a half feet.
Q)How much can you raise in five and half feet land?
A)This is very special soil the farmer replied.
My body Is my field.
My thoughts and actions are seeds,
My good and bad karmas are my harvest.
My brain is my physical organ;
My personality is a my force.
Forces of personalities.
Selflessness and selfishness
Unity and separateness
Love and hatred
Harmony and violence are my creation.
In the soil of the mind
I sow thoughts,desires hopes,fears,resentments,
They take deep roots and grow as our habits.
Attitudes personalities and patterns of
responding and when reacting.
भगवद् गीता में प्रसंग-
मानव को कहा तुम एक किसान हो
तुम्हारे पास कितनी ज़मीन है?
उसने पलट कर जबाब दिया -
साढ़े पांच फीट।
आप साढ़े पांच फीट जमीन में
कितना अनाज पैदा कर सकते हो?
किसान ने कहा यह मिट्टी बहुत ख़ास है।
मेरा शरीर मेरा खेत है।
मेरे विचार और कार्य मेरे बीज हैं,
और मेरे अच्छे और बुरे कर्म मेरी फसल हैं।
मेरी बुद्धी विचार मेहनत मेरी
कार्य कुशलता और मेरा व्यक्तित्व
मेरी ताकत है।
निस्वार्थता और स्वार्थ एकता और अलगाव
प्यार और नफरत सद्भाव मेरी खाद और पानी है।
सुविचारों, इच्छाओं,आशाओं, से
मन की मिट्टी में बीज बोऊँगा तो
निश्चय ही पैदावार अच्छी होगी।
अगर भय,आक्रोश के बीज लगाऊँगा
तो इनकी जड़ें गहरी अन्दर तक जाकर
अच्छी मिट्टी को बंजर कर देगी।
कहावत है जैसे कर्म वैसे फल।
Durga H Periwal
2021-2-27
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