Life is unique reward
Life is unique reward
If we want to reward our life then
we should be happy and live in harmony.
We should believe in self and have
dedication and pride never neglect life.
No one reward us or punish us
all are consequences of our own deeds.
We should try to live a good life
and devote life to help humanity
but never expect the world would
reward us for our efforts.
As the sun comes every morning
remove darkness and spread
energy for everyone however
many people do not care or respect sun.
We should not be haughty and egoistic
Our effort should be ethical, responsible and authentic.
We have some moral commitments.
We need creativity to take different approach.
Without emotions and sentiments
human heart is dead.
Whatever money power one has
without integrity it is useless.
He/she cannot enjoy prestridge.
Aimless person is just without life.
We are what is our desire
As is our desire so is our intention
As is our intention so is our will
As is our will so is our deeds
As is our deed so is our destiny
(Excerpt from Brihadaranyaka Upanishad)
जीवन अद्वितीय पुरस्कार।
कर्तव्य हमारा जीवन रहे उत्कृष्ट।
सदा रहें प्रसन्न हम रखें मन मे सद्भाव।
परिपूरित रहे हमारा आत्मविश्वास
समर्पण और स्वाभिमान की न करें उपेक्षा ।
न कोई करता पुरस्कृत हमें न करता दंडित।
जैसा बीज बोते हम वैसा मिलता हमें फल।
प्रयत्न करें जीवन हमारा हो आदर्शमय,
संदेश हमारा मानवता का करें परिपालन।
दुनियावालों से न रखें प्रशंसा की अपेक्षा।
जैसे हर मंगलमय प्रभात में दिनकर मिटाता अंधकार
अम्बर में सुनहरी किरणों का करता विस्तार।
सूर्य से मिलती अद्भुत जीवन शक्ति
किन्तु जगजीव रहते अनभिज्ञ बेपरवाह।
अहंकार और दम्भ से हम रहें दूर।
व्यवहार और बर्ताव हमारा हो उचित।
प्रयास रहें हमारा बनें रहें
सबके विश्वसनीय।
जन्मजात से मानव की होती
कुछ प्रतिबद्धताएँ।
रखें सकारात्मक दृष्टिकोण
बने रहें हम रचनात्मक।
उमंग आवेश जोश बिना
मानव हृदय बनता कठोर।
बिना किसी के पास जो भी धन शक्ति है
बिना ईमानदारी के धनी व्यक्ति की क़द्र नहीं।
उपार्जन का नहीं आता आनंद ।
लक्ष्यहीन व्यक्ति होता बेजान।
"हम वही हैं जो हमारी इच्छा
जैसी हमारी इच्छा वैसा ही हमारा इरादा
जैसी हमारी नीयत, वैसी ही हमारी मर्जी
जैसी मर्जी वैसे हमारे कर्म
जैसे हमारे कर्म वैसा ही हमारा भाग्य"
(बृहदारण्यक उपनिषद् से अंश)
By Durga H Periwal
2021-11-18
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